why do we celebrate Diwali in Hindi: दिवाली का नाम सुनते ही आँखों के सामने एक रंगीन नजारा दिखने लगता है। ये एक ऐसा त्यौहार है जोकि बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के मन में उत्साह पैदा करता है। दिवाली का त्यौहार हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि अन्य धर्मों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। दिवाली को लेकर समाज में अनेक धारणाएँ प्रचलित है तो आइए जानते है दिवाली को मनाने के पीछे क्या कारण है। Read more to know why do we celebrate Diwali in Hindi, हम दिवाली क्यों मनाते हैं, दिवाली क्यों मनाई जाती है|
पांडवों की वापसी
महाभारत के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन ही पांडव 13 वर्ष का बनवास और एक वर्ष अज्ञातवास पूरा करके वापिस लौटे थे उनके वापिस आने की ख़ुशी में लोगों में अपने घरों में घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया है।
सिखों के लिए ख़ास दिन
सिख इस त्यौहार को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते है इस पर्व को मनाने के पीछे का इतिहास इस प्रकार है :
सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव के कारण बादशाह जहांगीर ने सिखों के छठवें गुरू हरगोविंद साहिब जी को ग्वालियर के किले में बंधी बना लिया था जानकारी के मुताबिक उस किले में पहले से ही 52 हिन्दू राजा मौजूद थे। हरगोविंद साहिब जी को कैद करने के बाद बादशाह जहांगीर की हालत दिन प्रतिदिन खराब होने लगी। काजी ने बादशाह को सलाह दी कि आपने बेवजह एक सच्चे और नेक गुरु को कैद कर लिया है जिसके कारण आपकी हालत बिगड़ती जा रही है।
काजी की सलाह पर बादशाह जहांगीर ने गुरु हरगोविंद साहिब जी को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया। गुरु जी ने अकेले रिहा होने से साफ़ मना कर दिया , उन्होंने बोला कि वे जेल से तभी बाहर जाएंगे जब उनके साथ सभी राजाओं को रिहा किया जाएगा।
गुरु हरगोविंद साहिब जी का हठ देखते हुए बादशाह ने राजाओं को रिहा करने का आदेश तो जारी कर दिया पर साथ ही ये भी शर्त रखती कि जितने राजा बाहर जाएंगे उन्होंने गुरु जी का कोई अंग या कपड़ा पकड़ा हुआ होना चाहिए।
उसने सोचा कि एक या दो से ज्यादा राजा गुरु जी के साथ बाहर नहीं जा पाएंगे। इस तरह गुरु हरगोविंद साहिब जी ने 52 कलियों वाला एक विशेष कुरता सिलवाया। इस तरह हर काली को पड़ते हुए सभी राजा चालक बादशाह जहाँगीर की कैद से रिहा हुए।
उनके आने की ख़ुशी में लोगों में दीप जलाकर गुरू जी का स्वागत किया। इस तरह सिख धर्म के लोगों ने इस त्यौहार को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया।
भगवान राम की हुई थी वापसी
इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके और लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापिस लौटे थे। उनके आने की ख़ुशी में लोगों ने अपने घरों में घी के दिए जलाए और पूरी अयोध्या नगरी राम, सीता, और लक्ष्मण के वापिस आने की ख़ुशी में झूम उठी। इस तरह दिवाली का पर्व हिन्दू धर्म के लिए बेहद ख़ास है।
मां लक्ष्मी की उत्पत्ति
हिन्दू धर्म और शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही समुन्द्र मंथन के समय माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है और उनके जन्मदिन के अवसर की ख़ुशी में यह त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
नरकासुर नामक राक्षस का वध
दिवाली को मनाने का ख़ास मकसद यह भी है कि दिवाली से एक दिन पहले ही श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। और बहुत सी महिलाओं को उसकी कैद से आजाद करवाया था। इस जीत की ख़ुशी में भी लोग इस पर्व को बड़े ही चाव से मनाते है।
विक्रमादित्य का हुआ था राज तिलक
राजा विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे, ये अपनी वीरता, ज्ञान और उदारशीलता के लिए बेहद प्रसिद्ध थे। दिवाली के दिन ही राजा विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। इस ख़ुशी में भी लोग दिवाली को बेहद धूम धाम से मनाते है।
जैन धर्म के लिए दिवाली का विशेष महत्व
ऐसा नहीं है कि दिवाली सिर्फ हिन्दू और सिख लोगों का ही ख़ास त्यौहार है बल्कि जैन धर्म के लिए भी दिवाली का पर्व विशेष मायने रखता है इसी दिन जैन धर्म के संस्थापक महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसदिन उन्होंने घर- गृहस्थी और शाही जीवन को हमेशा के लिए त्याग दिया और जैन धर्म को विस्तार दिया।
इस तरह जैन धर्म के लिए दिवाली का त्यौहार तपस्या और त्याग के रूप में मनाया जाता है और जैन मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी जी की विशेष पूजा की जाती है।
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